Ayodha Ram Mandir: राम मंदिर का 1000 सालों तक कुछ भी नहीं बिगड़ेगा, इस टेक्नोलॉजी से बनाया गया है राम मंदिर, जाने अदभुत जानकारी
Ayodha Ram Mandir: उत्तर प्रदेश की पावन धरती अयोध्या पर भगवान श्री राम जी का मंदिर बनकर तैयार हो चुका है और इसका उद्घाटन भी 22 जनवरी 2024 को किया जाएगा। आपको बता दें कि राम मंदिर के उद्घाटन में लगभग 7000 मेहमान शामिल होने की उम्मीद है। लगभग 500 वर्षों के बाद अयोध्या राम मंदिर का सपना पूरा हुआ है।
जिस तरह से राम मंदिर का उद्घाटन समारोह भव्य होगा। उसी प्रकार से अयोध्या राम मंदिर को बनाने के लिए भी काफी मशक्कत की गई है। रिसर्च के मुताबिक अयोध्या मंदिर को इस हिसाब से तैयार किया गया है कि 1000 वर्षों तक मंदिर की एक ईंट भी हिल नहीं सकती। यानी मंदिर को 1000 वर्ष तक कुछ भी नहीं होगा।
अयोध्या राम मंदिर को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि 1000 वर्षों तक भूकंप और बाढ़ जैसी अन्य प्रकृति आपदा भी मंदिर का कुछ नहीं बिगाड़ सकेगी। चलिए इस आर्टिकल के माध्यम से अयोध्या राम मंदिर के बारे में अनोखे फैक्ट जान लेते हैं। जिनके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है।
Ayodha Ram Mandir Important Facts – अयोध्या राम मंदिर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी
केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की के द्वारा अयोध्या राम मंदिर का नक्शा तैयार किया गया है। जानकारी के मुताबिक इस नक्शे को इस तरह से तैयार किया गया है कि आने वाले 1000 वर्षों तक अयोध्या राम मंदिर को कुछ भी नहीं होगा।
जितना विशाल राम मंदिर बनाया गया है और जिस हिसाब से इसका डिजाइन तैयार किया गया है,पूरी प्रक्रिया में काफी ज्यादा मेहनत लगी है।
- अयोध्या राम मंदिर पर काम शुरू होने से पहले डिजाइन और मॉडल की कई बार कंप्यूटर से टेस्टिंग की गई है और कई बार बड़े बदलाव भी किए गए हैं।
- यह बात तो हम सभी जानते ही है कि जब तक भवन की नींव का डिजाइन मजबूत नहीं होगा, उस पर काम शुरू करना खतरे से खाली नहीं है।
- इसीलिए अयोध्या राम मंदिर की नींव पर काम शुरू करने से पहले काफी सारी चीजों को ध्यान रखा गया है।
- आपको जानकर हैरानी होगी कि अयोध्या राम मंदिर बनाने के लिए कहीं पर भी सरिया का इस्तेमाल नहीं किया गया है ।
- पूरे अयोध्या राम मंदिर में सुरक्षा और मॉनिटरिंग के लिए कॉलम, नींव और रिटेनिंग वाले सेंसर का इस्तेमाल किया गया है ताकि कोई भी अगर गड़बड़ होती है, तो उसको तुरंत सही किया जा सके।
- अयोध्या राम मंदिर को बनाने के लिए सरिया का इस्तेमाल नहीं किया गया है। पूरे मंदिर में कोलम को एक के ऊपर एक रखकर इंटरलॉकिंग प्रक्रिया के माध्यम से 161 फीट भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है।
- प्रकृति आपदा के कारण कई बार बड़े भव्य मंदिर और बिल्डिंग एक ही झटके में तहस-नस हो जाती है। इस बात का ध्यान रखते हुए राम मंदिर में बड़े-बड़े पत्थरों के हाथी और घोड़े का इस्तेमाल किया गया है।
- डिजाइन और वास्तु कला के हिसाब से तो यह आकर्षित लग ही रहे है। लेकिन हाथी और घोड़े को इसलिए भी इस्तेमाल किया गया है ताकि मंदिर को भूकंप विरोधी बनाया जा सके। पूरे भवन के भार को संतुलित करने के लिए ही इनका इस्तेमाल किया गया है।
- आपकी जानकारी के लिए बता दे की जिस भूमि पर राम मंदिर का निर्माण किया गया है, वहां रेतीली मिट्टी है। रेतीली मिट्टी पर किसी भी भवन का निर्माण करना काफी ज्यादा रिस्की हो सकता था।
- इसीलिए भवन की सुरक्षा के लिए 60 मीटर से लगभग 120 मीटर तक गड्ढा खोदकर पक्की मिट्टी के सैंपल लिए गए थे और भवन का निर्माण फिर उसी के आधार पर शुरू किया गया था।
- राम मंदिर को बनाने के लिए भारत सरकार के द्वारा लगभग 1800 करोड़ रूपया खर्च किया गया है लगभग 360 पिलर का इस्तेमाल किया गया है ताकि भवन को मजबूती दी जा सके।
- लगभग 15 मीटर कंक्रीट की रोलड कंपैक्ट लेयर पर इस मंदिर को तैयार किया गया है। राम मंदिर को प्रकृति आपदा और अन्य टूट-फूट से बचने के लिए खास तरीके से मंदिर को डिजाइन किया गया है। जिसमें लगभग 150 इंजीनियर और हजारों श्रमिकों की एक टीम भी बनाई गई थी।
- यह मंदिर लगभग 6.5 तीव्रता तक के भूकंप को सहन करने के लिए सक्षम है। रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 1000 वर्षों तक इस मंदिर को किसी भी प्रकार से मरम्मत करने की जरूरत नहीं होगी।
अयोध्या राम मंदिर को बनाने के लिए सरयू नदी की काफी बड़ी चुनौती
आपकी जानकारी के लिए बता दे की अयोध्या राम मंदिर के पास से सरयू नदी का पानी बहता है। सरकार को यह डर था कि राम मंदिर को बनाया तो जा रहा है, लेकिन रेतीली मिट्टी होने के कारण कहीं कुछ वर्षों बाद राम मंदिर पर कोई प्रकृति आपदा ना आ जाए।
कहीं बाढ़ में राम मंदिर बह ना जाए। क्योंकि पास में सरयू नदी बहती है और मिट्टी रेतीली है। तो यह बात पक्की है, की नदी का पानी जब रेतीली मिट्टी पर अटैक करेगा, तो बाढ़ में मंदिर बहने के चांस काफी ज्यादा है।
इसीलिए लगभग 6 महीना तक 150 इंजीनियर की टीम ने यह तरीका निकाला था कि कैसे मंदिर का निर्माण किया जाए और नींव को मजबूत बनाया जाए। ताकि बाढ़ या अन्य प्रकृति आपदा कोई भी प्रभाव ना डाल सके।