पोंगल दक्षिण भारत का एक बहुत ही प्रमुख त्योहार है जिसे मकर संक्रांति के समय में ही मनाया जाता है। इस त्योहार के साथ ही तमिल नव वर्ष की शुरुआत भी होती है साथ ही दक्षिण भारत के लोगों में इस त्योहार को लेकर बहुत ही उत्सुकता देखी जाती है। आईये विस्तार से जानते है की क्यों है पोंगल दक्षिण भारत का प्रमुख त्योहार और क्या है इसका महत्व:
Pongal Festival 2024: जानिए क्या है पोंगल का महत्व?
दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहारों में पोंगल को काफी ऊँचा स्थान दिया गया है। ये फसल की कटाई एवं आर्थिक संपन्नता का प्रतिक भी होता है । यह त्योहार सूर्य उत्तरायण के दूसरे दिन मनाया जाता है। जिस उत्साह से उत्तर भारत में दिवाली पर रौनक होती ठीक उसी तरह दक्षिण भारत में भी घरों में पोंगल के पर्व पर रंगोलियाँ बनाई जाती है एवं मिठाईयाँ बांटी जाती है। पोंगल एक तरह से ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का पर्व होता है जिसमें सभी लोग पूजा अर्चना करते हैं एवं अपने घरों को सजाते है।
कितने दिनों तक मनाया जाता है पोंगल का त्योहार?
पोंगल का त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है जिसमें हर दिन का अलग-अलग महत्व है।
- पहले दिन को भोगी पांडिगई का नाम दिया गया है जिसमें इंद्र देव की पूजा की जाती है साथ ही घरों एवं दुकानों की साफ-सफाई की जाती है।
- उत्सव के दूसरे दिन को थाई पोंगल के नाम से जाना जाता है और इस दिन सूर्य पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन घरों में पकवान बनाये एवं बांटे जाते है साथ ही फसल अच्छी हो इसलिए सूर्यदेव की पूजा अर्चना की जाती है।
- पर्व के तीसरे दिन मवेशियों को रंगों से सजाया जाता है क्योंकि फसलों के उत्पादन में ये महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। तीसरे दिन को मट्टू पोंगल के नाम से जाना जाता है।
- पोंगल के आखिरी दिन को कन्या पोंगल के रूप में मनाते है और इस दिन दूध, घी एवं चावल का गन्नों के साथ सूर्य भगवान को भोग लगाया जाता है।
जानिए इस वर्ष कब मनाया जायेगा पोंगल का त्योहार?
इस वर्ष ये त्योहार 15 जनवरी से लेकर 18 जनवरी तक मनाया जायेगा। चार दिन तक चलने वाले इस त्योहार में प्रत्येक दिन की अलग-अलग मान्यताएँ है जैसे पहले दिन साफ सफाई, दूसरे दिन पकबान वितरण, तीसरे दिन मवेशियों को सजाने से लेकर चौथे दिन सूर्य पूजा तक इस त्योहार को बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है।
पोंगल का त्योहार और तमिल नव वर्ष
पोंगल के त्योहार के साथ ही तमिल नव वर्ष की शुरुआत भी होती है इसलिए ये पर्व दक्षिण भारतियों के लिए और भी खास हो जाता है। फसल की कटाई से एक नये वर्ष का प्रारंभ भी होता है जिसे सभी लोग बड़े ही उत्साह से मनाते है साथ ही इंद्र और सूर्यदेव की पूजा अर्चना भी की जाती है। नये वर्ष की शुरुआत के साथ लोग अपने लिए नई योजनाएं भी बनाते है और अपनी आने वाले साल में फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए प्रार्थना भी करते है।
किन राज्यों में सबसे ज्यादा होती है पोंगल की रौनक?
पोंगल का त्योहार दक्षिण भारत के खास त्योहारों में गिना जाता है। इस त्योहारों को मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं तमिलनाडु में मनाया जाता है और इन दिनों में इन राज्यों के बाजारों में एक अलग ही रौनक देखी जाती है। दुकानें कई प्रकार की आकर्षक चीजों से सजी होती है साथ ही अनेक प्रकार की मिठाईयाँ भी उपलब्ध होती है।